ज़िंदगी अपनी हो रही जो ग़म में बसर है
कुछ तो किस्मत कुछ तेरी आहों का असर है।
कटती नहीं शब तेरे आगोश के बिना
लगता है जैसे बड़ी दूर सहर है।
कब्र पे आकर वादा वो निभा गए
आज सुर्खियों में बनी ये ख़बर है।
मैं तो लिए बैठा हूं खाली जाम अपना
लेकिन मेरा साकी डाले ना नज़र है।
-हेमंत रिछारिया
गुरुवार, 5 जनवरी 2012
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