एक नई जंग का हौंसला दे गया
सबक फिर कोई हादसा दे गया
हिज्र की शक्ल ली वस्ल ने मगर
प्यार का इक नया कायदा दे गया
रात गहराई है ना चिराग कोई
एक जुगनू हमें आसरा दे गया
लोग घर से चले और गुम हो गए
रहगुज़र को सफर कारवां दे गया
कवि-हेमंत रिछारिया
गुरुवार, 5 जनवरी 2012
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