ए खुदा तेरा ईजादे-करिश्मा तेरी पहचान ना बन सका
ये हाड़ मांस का पुतला अभी इंसान ना बन सका
घर की लाज ना ढंक पाएगी देहरी पे लटके परदों से
इक टुकड़ा कफ़न मुफ़लिसों की आन ना बन सका
यूं कितने देते हैं जां इन आम कत्लोगारद में
हर मरहूम मगर वतन की शान ना बन सका
नफरत की लिए निशानी रहा भटकता दर-ब-दर
पले प्यार से दिल में वो अरमान ना बन सका
अशआर पढ़े हैं ना जाने कितने हमने बज़्मों में
दैरो-हरम में जो गूंजे वो अजान ना बन सका
पैगाम सुने हैं कई हमने इन सामंती दरबारों के
अमन-मोहब्बत को फैलाने फरमान ना बन सका
कवि-हेमंत रिछारिया
गुरुवार, 5 जनवरी 2012
ग़ज़ल
एक नई जंग का हौंसला दे गया
सबक फिर कोई हादसा दे गया
हिज्र की शक्ल ली वस्ल ने मगर
प्यार का इक नया कायदा दे गया
रात गहराई है ना चिराग कोई
एक जुगनू हमें आसरा दे गया
लोग घर से चले और गुम हो गए
रहगुज़र को सफर कारवां दे गया
कवि-हेमंत रिछारिया
सबक फिर कोई हादसा दे गया
हिज्र की शक्ल ली वस्ल ने मगर
प्यार का इक नया कायदा दे गया
रात गहराई है ना चिराग कोई
एक जुगनू हमें आसरा दे गया
लोग घर से चले और गुम हो गए
रहगुज़र को सफर कारवां दे गया
कवि-हेमंत रिछारिया
ज़िंदगी अपनी हो रही जो ग़म में बसर है
ज़िंदगी अपनी हो रही जो ग़म में बसर है
कुछ तो किस्मत कुछ तेरी आहों का असर है।
कटती नहीं शब तेरे आगोश के बिना
लगता है जैसे बड़ी दूर सहर है।
कब्र पे आकर वादा वो निभा गए
आज सुर्खियों में बनी ये ख़बर है।
मैं तो लिए बैठा हूं खाली जाम अपना
लेकिन मेरा साकी डाले ना नज़र है।
-हेमंत रिछारिया
कुछ तो किस्मत कुछ तेरी आहों का असर है।
कटती नहीं शब तेरे आगोश के बिना
लगता है जैसे बड़ी दूर सहर है।
कब्र पे आकर वादा वो निभा गए
आज सुर्खियों में बनी ये ख़बर है।
मैं तो लिए बैठा हूं खाली जाम अपना
लेकिन मेरा साकी डाले ना नज़र है।
-हेमंत रिछारिया
बुधवार, 4 जनवरी 2012
श्वानों की लडा़ई
एक बार देखी हमने श्वानों की लडा़ई,
हड्डी एक थी किंतु सबने उस पर नज़र गडा़ई।
एक गुर्राया; दूसरे ने पंजा बढा़या, तीसरा काटने को आतुर,
हड्डी ले भागा वही जो श्वान था सबसे चातुर।
फिर कुछ दिनों के बाद जब चुनाव है आया,
हमारी नज़रों के सामने वही द्रश्य दोहराया,
हमने देखी फिर से वही श्वानों की लडा़ई,
हड्डी एक थी किंतु सबने उस पर नज़र गड़ाई,
सुना था कि अपने क्षेत्र में "श्वान" भी "सिंह" होता है,
ये कैसा माहौल है यारों जहां "सिंह"; "श्वान" होता है..!
कवि-हेमंत रिछारिया
रविवार, 1 जनवरी 2012
मंगलवार, 16 मार्च 2010
भारतीय नववर्ष
वर्ष प्रतिपदा या गुड़ी पड़वाँ का पर्व हम सभी भारतवासियोँ के लिए गर्व का विषय है लेकिन खेद के साथ कहना पड़ता है कि हमारे द्वारा पश्चिम के अन्धानुकरण के कारण इस पर्व से जुड़े धार्मिक , सामाजिक , ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व से नई पीढ़ी अवगत नहीँ है । आइये ! आज इस अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण तथ्योँ का हम स्मरण करेँ ।
1 - इस दिन ॐकार के ब्रह्मनाद के निरूपण के साथ जगत्पिता ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की थी ।
2 - विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं विज्ञान सम्मत कालगणना इसी दिन से आरम्भ हुई थी।
3 - शक्ति की उपासना के पर्व ' चैत्रीय नवरात्र ' का यह प्रथम दिन है ।
4 - इस दिन भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ ही भारतवर्ष मेँ रामराज्य की स्थापना हुई थी ।
5 - धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक भी आज ही के दिन हुआ था ।
6 - आज से 2066 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने आक्रमणकारी शकोँ को पराजित करने के बाद विक्रम सम्वत प्रारम्म किया था ।
7 - आज के ही दिन वरुणावतार भगवान श्री झूलेलाल जी का इस धराधाम पर अवतरण हुआ था ।
8 - सिक्ख पंथ के द्वितीय गुरु अंगद देव जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
9 - महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने आज के ही दिन आर्य समाज की स्थापना की थी ।
10 - उत्तर भारत के महान हिन्दू योद्धा हेमचन्द्र विक्रमादित्य ने मुग़ल बादशाह अक़बर पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी ।
11 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
ऐसे महान पर्व पर सभी सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन एवं पुरजन को अनेकानेक शुभ - कामनाएँ एवं हार्दिक बधाई ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
1 - इस दिन ॐकार के ब्रह्मनाद के निरूपण के साथ जगत्पिता ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की थी ।
2 - विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं विज्ञान सम्मत कालगणना इसी दिन से आरम्भ हुई थी।
3 - शक्ति की उपासना के पर्व ' चैत्रीय नवरात्र ' का यह प्रथम दिन है ।
4 - इस दिन भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ ही भारतवर्ष मेँ रामराज्य की स्थापना हुई थी ।
5 - धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक भी आज ही के दिन हुआ था ।
6 - आज से 2066 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने आक्रमणकारी शकोँ को पराजित करने के बाद विक्रम सम्वत प्रारम्म किया था ।
7 - आज के ही दिन वरुणावतार भगवान श्री झूलेलाल जी का इस धराधाम पर अवतरण हुआ था ।
8 - सिक्ख पंथ के द्वितीय गुरु अंगद देव जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
9 - महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने आज के ही दिन आर्य समाज की स्थापना की थी ।
10 - उत्तर भारत के महान हिन्दू योद्धा हेमचन्द्र विक्रमादित्य ने मुग़ल बादशाह अक़बर पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी ।
11 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
ऐसे महान पर्व पर सभी सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन एवं पुरजन को अनेकानेक शुभ - कामनाएँ एवं हार्दिक बधाई ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
मंगलवार, 9 मार्च 2010
मेरे दोहे अनुभूति पर
निकले थे घर से कभी, हम सपनों के साथ
इक-इक करके राह में, सबने छोडा हाथ
प्यारी दैरो-हरम से, तेरी ये दहलीज़
मैंने तेरे नाम का, डाल लिया ताबीज़
रखने की गुलदान में,मत करना तुम भूल
नहीं महक सकते कभी, कागज़ के ये फूल
अब ये देखें बीच में, कौन हमारे आय
हम तो बैठे हैं यार, तुझको खुदा बनाय
रोके से रुकता नहीं, करता मन की बात
हम लाचार खड़े रहें, मन की ऐसी जात
कल मुझसे टकरा गई, इक नखराली नार
अधर पांखुरी फूल की, चितवन तेज कटार
तुमने छेड़ा प्यार का, ऐसा राग हुज़ूर
सदियों तक बजता रहा, दिल का ये संतूर
देखो ये संसार है, या कि भरा बाज़ार
संबंधों के नाम पर, सभी करें व्यापार
दुई रोटी के वास्ते, छोड़ दिया जब गांव
भरी दुपहरी यार क्यूं, ढूंढ रहे हो छांव
लौट बराती सब चले, अपने-अपने गांव
रुके रहे देहरी पर, रोली वाले पांव
तुमने अपने प्रेम का, डाला रंग;अबीर
घर बारै मैं आपना, होता गया कबीर
सच से होगा सामना, तो होगा परिवाद
बेहतर है कि छोड़ दो, सपनों से संवाद
-हेमंत रिछारिया
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