वर्ष प्रतिपदा या गुड़ी पड़वाँ का पर्व हम सभी भारतवासियोँ के लिए गर्व का विषय है लेकिन खेद के साथ कहना पड़ता है कि हमारे द्वारा पश्चिम के अन्धानुकरण के कारण इस पर्व से जुड़े धार्मिक , सामाजिक , ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व से नई पीढ़ी अवगत नहीँ है । आइये ! आज इस अवसर पर कुछ महत्वपूर्ण तथ्योँ का हम स्मरण करेँ ।
1 - इस दिन ॐकार के ब्रह्मनाद के निरूपण के साथ जगत्पिता ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की थी ।
2 - विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं विज्ञान सम्मत कालगणना इसी दिन से आरम्भ हुई थी।
3 - शक्ति की उपासना के पर्व ' चैत्रीय नवरात्र ' का यह प्रथम दिन है ।
4 - इस दिन भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ ही भारतवर्ष मेँ रामराज्य की स्थापना हुई थी ।
5 - धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक भी आज ही के दिन हुआ था ।
6 - आज से 2066 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने आक्रमणकारी शकोँ को पराजित करने के बाद विक्रम सम्वत प्रारम्म किया था ।
7 - आज के ही दिन वरुणावतार भगवान श्री झूलेलाल जी का इस धराधाम पर अवतरण हुआ था ।
8 - सिक्ख पंथ के द्वितीय गुरु अंगद देव जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
9 - महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने आज के ही दिन आर्य समाज की स्थापना की थी ।
10 - उत्तर भारत के महान हिन्दू योद्धा हेमचन्द्र विक्रमादित्य ने मुग़ल बादशाह अक़बर पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी ।
11 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था ।
ऐसे महान पर्व पर सभी सुधी पाठकोँ , मित्रोँ , शुभ - चिन्तकोँ , परिजन एवं पुरजन को अनेकानेक शुभ - कामनाएँ एवं हार्दिक बधाई ।
- रमेश दीक्षित , टिमरनी
मंगलवार, 16 मार्च 2010
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हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
blog ki rang birangi dunia me aapka swagat hay.
जवाब देंहटाएंAnek shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंSwagat hai!
जवाब देंहटाएंएक सच्चे और सहज हिन्दू को देश-काल-परिस्थितियों की सीमाओं में बाँधा नहीं जा सकता..वो आज़ाद होता है मानव निर्मित उन सभी सीमाओं से जो जड़ दी जाती हैं उसके मन-मस्तिष्क पर धर्म, संप्रदाय, भाषा और वतन के नाम पर..उसकी श्रद्धा होती है "वसुधैव कुटुम्बकम" और "ढाई आखर प्रेम" पर..प्रेम जो " सर्वमांगल्य " की कामना करता है..
जवाब देंहटाएंना में पंडित ना में मुल्ला,
ना ही बांचुं गीता , वेद, कुरान,
मनवा मा आनंद भयो,
करम गति को जान..
हमारे इतिहास की बहुमूल्य जानकारी देने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुमन’मीत’
स्वागत है आपका ।
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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