मिथ्या जीवन के कागज़ पर, सच्ची कोई कहानी लिख
नीर-क्षीर तो लिख न पाया, पानी को तो पानी लिख
सारी उम्र गुज़ारी यों ही, रिश्तों की तुरपाई में
दिल का रिश्ता सच्चा, बाकी सब बेमानी लिख
अपना घर क्यों रहा अछूता, सावन की बौछारों से
शब्द कोष में शब्द नहीं तो, मौसम की नादानी लिख
हारा जगत दुहाई देकर, ढाई आखर की हर बार
राधा का यदि नाम लिखे तो, मीरा भी दीवानी लिख
इश्क मुहब्बत बहुत लिखा है, लैला-मजनूं; रांझा-हीर
मां की ममता;प्यार बहन का, इन लफ़्ज़ों के मानी लिख
पोथी और कितबों ने तो, अक्सर मन पर बोझ दिया
मन बहलाने के खातिर ही, बच्चे की शैतानी लिख
कोशिश करके देख "आरसी", पोंछ सके तो आंसू पोंछ
बांट सके तो दर्द बांट ले, पीर सदा बेगानी लिख
-आर.सी.शर्मा "आरसी"
सोमवार, 1 मार्च 2010
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