शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

आज तक-सबसे तेज़


कभी कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है
कि रामायण काल में यदि भारत का सबसे तेज़ चैनल "आज तक" होता तो कैसा होता?
वाल्मिकी को नहीं उठानी पड़ती कोई परेशानी,चंद ही मिनटों में बन जाती रामायण की कहानी।
आइए ज़रा सोचें यदि उस वक्त "आज तक" होता; तो युद्ध का वर्णन कैसा होता?
सबसे पहले टी.वी. पर पहचान ध्वनि के साथ समाचार वाचक की क्रत्रिम मुस्कान दिखाई पड़ती और वह मुस्कराकर कहता-"नमस्कार! आज तक में आपका स्वागत है, मैं हूं षटकासुर।
पेश है अभी तक की ताज़ा खबरें। ताजा जानकारी के मुताबिक श्रीराम की वानर-सेना पत्थरों से बनाए पुल को पार करती हुई समुद्र के उस पार पहुंच चुकी है। जहां श्रीराम के द्वारा अपने प्रमुख सहयोगियों एवं मित्र दलों से विचार-विमर्श के बाद रावण को अंतिम अवसर देते हुए अपनी ओर से "शांति-वार्ता" का प्रस्ताव लेकर अंगद को लंका भेजा गया है। अंगद के लंका से लौटने का समय हो चुका है। पूरे राम-कैंप में उनका बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है। ज़्यादा जानकारी के लिए चलते हैं हमारे संवाददाता घटोत्कक्ष के पास जो इस वक्त युध्द स्थल पर मौजूद हैं।
"घटोत्कक्ष, आपके पास इस संबंध में क्या ताजा जानकारी है?"
घटोत्कक्ष- जी षटकासुर, अभी-अभी अंगद रावण-दरबार से लौटे हैं और वो सीधे श्रीराम जी से मिलने उनके शिविर में पहुंच गए हैं। हालांकि हमने उनसे बात करने की बहुत कोशिश की मगर उन्होने मीडिया से बात करने में कोई रुचि नहीं दिखाई।
षटकासुर- घटोत्कक्ष, अंगद के आने के बाद वहां का माहौल कैसा है। युध्द के बारे में किस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
घटोत्कक्ष- षटकासुर, यहां युध्द लगभग तय माना जा रहा है और अंगद की बाडी-लेंग्वेज़ भी इस तरफ साफ इशारा कर रही थी। कि वे वहां से निराश लौटे हैं और लंकेश रावण ने उनका " शांति-प्रस्ताव" ठुकरा दिया है। लेकिन आधिकारिक तौर पर अभी युद्ध के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
षटकासुर- धन्यवाद घटोत्कक्ष ! आप राम-शिविर पर नज़र रखें और ताजा जानकारी हमें देते रहें।
और आइए अब चलते हैं लंका जानने के लिए कि वहां कैसा माहैल है। बात करते हैं हमारे दैत्य संवाददाता अघोरनाथ से।
अघोरनाथ...!
जी षटकासुर,
लंका में क्या चल रहा है?
अघोरनाथ-षटकासुर, वहां युद्ध की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तक प्रथम दिन के युद्ध के नेत्रत्व पर फैसला नहीं हो पाया है।
षटकासुर- किन किन नामों पर विचार चल रहा है?
अघोरनाथ- वैसे तो मेघनाद; कुंभकरण; सहित तीन नामों का पैनल बनाया गया है पर मेघनाद इस दौड़ में सबसे आगे हैं।
षटकासुर- उनके पक्ष में ऐसी क्या बात है जो उनको नेत्रत्व सौंपा जा सकता है।
अघोरनाथ- लीलाधर, मेघनाद एक अच्छे योद्धा हैं और रावण के सबसे चहेते बेटे हैं। रावण उनपर खुद से भी ज़्यादा भरोसा करते हैं।
षटकासुर- धन्यवाद अघोर, आप वहां नज़र बनाए रखिए।
तो इस प्रकार राम-रावण युद्ध की तैयारी पूरी हो चुकी है। परंतु दोनों ही ओर नेत्रत्व को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
फिलहाल वक्त हो चुका है एक ब्रेक का आप देखते रहिए आज तक!
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ब्रेक के बाद आपका स्वागत है मैं हूं निशुंभ; आज तक में आपका स्वागत है। पेश अब तक की ताजा खबरें-
* रावण ने शांति प्रस्ताव ठुकराया
* राम-रावण युद्ध कुछ ही देर में शुरू होने के आसार
* राम ने कहा- युद्ध ही अंतिम विकल्प
अब खबरें विस्तार से- अभी अभी प्राप्त ताज़ा जानकारी के अनुसार रावण सेना का नेत्रत्व मेघनाद को सौंप दिया गया है।
हमारे साथ फोन लाइन पर मौजूद है खुद मेघनाद,
मेघनाद जी; मेघनाद जी, क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं
(कुछ देर की खामोशी के बाद)
जी निशुंभ,
सबसे पहले मैं यह जानना चाहूंगा कि किन वजहों के चलते आपको युद्ध का नेत्रत्व सौंपा गया ?
मेघनाद- देखिए वजहें तो कई है पर जो सबसे बड़ी वजह है वह है काकाश्री कुंभकरण की नींद। उनको जगाने में काफी समय लग सकता है इसके चलते हाईकमान लंकेश ने युद्ध की कमान मेरे हाथों में दी है।
निशुंभ- मेघनाद जी, आपकी रणनीति क्या होगी।
मेघनाद- वैल; रणनीति का खुलासा तो मैं यहां नहीं करूंगा पर इतना अवश्य कहूंगा कि हम उन दो वनवासियों पर भारी पड़ेंगें।
निशुंभ- मेघनाद जी, विभीषण की बगावत के बारे में आपका क्या कहना है?
मेघनाद- विभीषण काका सत्ता लोलुप व्यक्ति हैं पिताश्री के रहते उनका यह सपना पूरा होने वाला नहीं था इसके चलते उन्होने विरोधियों से हाथ मिला लिया।
निशुंभ- उनपर कोई कार्रवाई की गई है?
मेघनाद- जी हां, उन्हे आदरणीय लंकेश ने लंका से छ: वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है।
निशुंभ- आखरी सवाल, वो आपको कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं?
मेघनाद- हां थोड़ा बहुत नुकसान तो हो सकता है पर इसका असर युद्ध के परिणाम पर नहीं पड़ेगा।
निशुंभ- आज तक से बात करने के लिये धन्यवाद!
और आइए अब जानने की कोशिश करते हैं कि सीता जी का हाल कैसा है। बात करते हैं हमारी संवाददाता कलहप्रिया से जो इस वक्त अशोक वाटिका में मौजूद हैं।
निशुंभ- कल्हप्रिया; कलहप्रिया, मेरी आवाज़ आ रही है?
निशुंभ- लगता है कलहप्रिया से हमारा संपर्क टूट गया है।
कलहप्रिया- हां निशुंभ बोलिए।
निशुंभ- जैसा कि युद्ध कुछ ही पलों में शुरू होने वाला है जानन चाहेगें सीता जी की मानसिक स्थिति कैसी है?
कलहप्रिया- निशुंभ, सीता जी की मानसिक स्थिति बहुत खराब है जैसे ही प्रात: उन्होने "आज तक" पर युद्ध के शुरू होने ख़बरें सुनी वो व्याकुल हो उठीं। वो बार-बार एक ही बात दोहरा रहीं है कि प्रभु श्रीराम अवश्य ही युद्ध में विजयी होंगे और मुझे मुक्त करा कर अपने साथ ले जाएगें। निशुंभ हमने जब उनसे इस संबंध में बात करने की कोशिश की तो उन्होने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। परंतु जब तक युद्ध चलेगा उनका एक एक पल एक युग की तरह बीतेगा और वो हर सांस के साथ श्रीराम की विजय की कामना करती रहेंगी।
कलहप्रिया, अशोकवाटिका, आज तक।
जैसा कि कलहप्रिया ने बताया कि माता सीता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। और अभी-अभी प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार राम-रावण युद्ध शुरू हो चुका है दोनों ही सेनाएं आर-पार की लड़ाई में जुट गई हैं। आपको सीधे लिए चलते हैं युद्ध स्थल जहां हमारे संवाददाता राक्षसराज शुंभ मौजूद हैं।
निशुंभ- शुंभ युद्ध की क्या स्थिति है?
शुंभ-निशुंभ, युद्ध अपनी अत्यंत भयावह स्थिति में पहुंच चुका है। रावण सेना का नेत्रत्व मेघनाद कर रहे हैं और वानर-सेना की कमान लक्ष्मण संभाले हुए हैं। दोनों ओर से "जय लंकेश" और "हर-हर महादेव" के जयघोष सुनाई दे रहे हैं। मेरे ठीक पीछे जो आप रथ देख रहे हैं। यह मेघनाद का रथ है जो अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्रों से लैस है। जबकि लक्ष्मण धरती पर खड़े-खड़े ही युद्ध कर रहे हैं। दोनों ही योद्धा अपनी पूरी शक्ति और प्राण-पण से युद्ध कर रहे हैं। इस समय किसी की भी जीत का कयास लगाना उतावलेपन का सूचक होगा।
शुंभ, रणभूमि, आज तक।
आज तक में वक्त हो चला है एक ब्रेक का आप कहीं मत जाइए हम तुरत लौटते हैं देखते रहिए आज तक।
ब्रेक के बाद आपका स्वागत है मैं हूं पंपासुर।
एक नज़र डालते हैं अभी तक की ताजा ख़बरों पर
* राम-रावण युद्ध जारी
* शक्ति लगने से लक्ष्मण घायल
* वैद्य के अनुसार लक्ष्मण की हालत गंभीर
* हनुमान संजीवनी लेने के लिए रवाना
* राम ने कहा-मेघनाद कल का सूरज नहीं देखेगा
आज युद्ध समाप्त होने से ठीक पहले लक्ष्मण मेघनाद द्वारा चलाई गई शक्ति के लगने से गंभीर रूप से घायल हो गये।
उनकी हालत स्थिर किंतु चिंताजनक बनी हुई है। श्रेष्ठ वैद्यों का दल उनकी हालत पर नज़र रखे हुए है। हनुमान जी संजीवनी लेने के लिए वायु मार्ग द्वारा प्रस्थान कर चुके हैं। ज़्यादा जानकारी के लिए सीधे चलते हैं राम के शिविर जहां हमारी संवाददाता कंटकी मौजूद हैं।
कंटकी क्या जानकारी है आपके पास? लक्ष्मण जी की हालत कैसी है और हनुमान कब तक लौटेगें संजीवनी लेकर?
कंटकी-पंपासुर जी, लक्ष्मण जी की हालत स्थिर बनी हुई है वैद्य के अनुसार यदि संजीवनी सुबह से पहले आ जाती है तो उन्हे बचाया जा सकता है।
पंपासुर- धन्यवाद कंटकी, हम अपने दर्शकों को बता दें कि आप लक्ष्मण जी को उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिये अपनी शुभकामनाएं दे सकते हैं। इसके लिए आप अपने मोबाइल के राइट मैसेज आप्शन में जाइए और शुभकामना लिखिए फिर अपना और अपने शहर का नाम लिखे और इसे ७५७५ पर भेज दें। चुनी हुई शुभकामना आज तक पर दिखाई जाएगीं। दूसरी ओर आपको बता दें कि लंका में जश्न का माहौल है लंकेश ने मेघनाद को बधाई दी है। और अभी अभी प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार हनुमान जी संजीवनी लेकर राम शिविर पहुंच चुके हैं और लक्ष्मण जी का उपचार शुरू किया जा चुका है और वे अब ख़तरे से बाहर हैं। इस वक्त हमारे साथ फोन लाइन पर मौजूद हैं हनुमान जी।
पंपासुर- हनुमान जी, पहले तो संजीवनी लाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। लक्ष्मण जी अब कैसे हैं?
हनुमान- अब वे ठीक हैं। संजीवनी अपना काम कर रही है। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहूंगा कि कल वानर सेना लक्ष्मण जी के साथ युद्ध में उतरेगी।
पंपासुर- आज तक से बात करने के लिए धन्यवाद।
हनुमान- धन्यवाद।
पंपासुर- तो ये थीं अब तक की ताजा ख़बरें। युद्ध जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा हम आपको ताज़ा अपडेट देते रहेंगे। आज के बुलेटिन में बस इतना ही,
देखते रहिए आज तक, नमस्कार।

-हेमन्त रिछारिया

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